कुमार किशन कीर्ति 14 Jul 2023 ग़ज़ल समाजिक आईने,पत्थर 43004 1 5 Hindi :: हिंदी
आईने टूट जाते है पत्थरों की चोट से, हकीकत बयां होती है करीब आने से। दूर रहना अगर,हकीकत ना_पसंद है। सच्चाई क्यों कहते हो,जब तुम्हे झूठ पसंद है। वे आजाद परिंदे है उन्हें उन्मुक्त उड़ने दो, बेड़ियां क्यों डालते हो जब तुम्हें आजादी पसंद है। मोहब्बत, इश्क़,आशिकी खुदा की इबादत है, तुम इश्क़ क्यों करते हो,जब तुम्हें यह इबादत ना_पसंद है।
7 months ago