RANJIT MAHATO 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग #दारू #sharab #wine #madira 29030 0 Hindi :: हिंदी
शाम ढले दारू ना चले ये हो नहीं सकता शाम ढले और कई मित्र आपस में ना मिले ये हो नहीं सकता शाम ढले और सारी परेशानियों को ना भुले ये हो नहीं सकता शाम ढले और किसी और दुनिया के सैर पर ना निकले ये हो नहीं सकता शाम ढले और ढेर सारी कहानियाँ ना निकले ये हो नहीं सकता शाम ढले और आपस में सब भेद भाव ना भुले ये हो नहीं सकता शाम ढले और अंदर की सारी कलाकारी बाहर न निकले ये हो नहीं सकता
My name is Ranjit Mahato and I am self-employed by profession. I have a passion for reading and writ...