Vipin Bansal 30 Mar 2023 ग़ज़ल अन्य #ख़िताब 64476 0 Hindi :: हिंदी
शायर का ये जो, ख़िताब है ! मेरे उस्ताद मेरे हालात हैं ! तालीम से रहा महरूम ! गम बेहिसाब है ! गमों ने ही नवाजा ये ख़िताब है ! तजुर्बा ए दौलत बेशुमार है ! दर्द ने दी अल्फाजों को धार है ! तालीम से महरूम जिंदगी ! एक यही बदनुमा दाग है ! तजुर्बो से हासिल ये ख़िताब है ! कलम में अटकी ये सांस है ! मेरा क्या वजूद, हम तो खाक हैं ! मुकद्दर ने छीना हर ख़्वाब है ! खाक ही मेरी अब पहचान है ! खाक से ही रोशन ये ख़िताब है ! तालीम ए डिग्री न मेरे पास है ! शायरों के जैसी कहाँ औक़ात है ! हम हुए मरहूम ये कलमे सांस है ! गजलें खुशबू से महका श्मशान है ! कलम ने ही तराशा ये ख़िताब है ! तीरगी का देखो, क्या कमाल है ! तीरगी से रोशन, ये जहान है ! मेरा गम मेरे अश्क मेरा दर्द ! ये हसीन नायाब सौगात है ! इन्हीं के सुपुर्द ये ख़िताब है ! मेरी खाक से बना ये मकान है ! गम, अश्क, दर्द इसकी शान है ! ये मोहब्बत, ये दाद, गजलें जान है ! अधूरे शायर का सबको सलाम है ! ये मोहब्बतें ही मेरा ये ख़िताब है ! विपिन बंसल