SACHIN KUMAR SONKER 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य GOOGLE (गर्मी का मौसम) 77127 0 Hindi :: हिंदी
शीर्षक (गर्मी का मौसम) मेरे अल्फ़ाज़ (सचिन कुमार सोनकर) उफ़ ये गर्मी हाय ये गर्मी। उफ़ ये कैसी गर्मी है, चारों तरफ ही आग है, ये सब गर्मी का ही प्रताप है। तन में ऐसी आग लगे, कपड़े में जैसे भाप लगे। गर्मी इतनी ज़ादा है, कपड़ा भीगा आधा है। गर्मी का प्रकोप अभी भी जारी है। ना जाने कौन सी आफत आने वाली है। बॉडी को बिल्कुल आराम ना मिले, ऐसी कूलर काम ना करे। गर्मी से हाल बेहाल है, पड़ रहा सूखा और अकाल है। बादल आये जाये फिर भी बारिश ना हो पाये। देख के बादल जी ललचाये अब तो बारिश हो ही जाये। बिन बारिश अब तो बिल्कुल रहा ना जाये। बादल के मन में भी कोई शंका है, ना बरसने की उनकी पूरी मनसा है। दिल से निकले हाय-हाय अभी भी बारिश हो जाये। बिन बारिश अब तो रहा ना जाये। नदी झरने सब रूठ रहे है, बिन बारिश सब सूखे है,