Ruby Gangwar 07 Feb 2024 कविताएँ दुःखद 40वर्षों के बाद, वहीं खड़ी थी, मंजिल पाने की, फिर भी नाकाम थी 31953 0 Hindi :: हिंदी
40 वर्षों के बाद भी मैं वहीं खड़ी थी टूटी हुई बिखरी हुई, आज भी चेहरे भी चेहरे पर खुशी न थी आंखों में चमक न थी , आज भी हर चुनौती के सामने डटकर खड़ी थी, पर अफसोस फिर भी नाकाम थी, मंजिल पाने की कोशिश हजार कर रही थी पर एक उम्मीद हर पल मर रही थी, 40 वर्षों के बाद भी मैं वहीं खड़ी थी।।