Shreyansh kumar jain 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 50000 38006 0 Hindi :: हिंदी
लौहा हूँ मैं अभी मुझे सोना बनकर दिखाना है, इन पर्वतों की अकड तोड़कर मुझे रास्ता बनाना है, सपनो को अब देखा है तो पूरा करके दिखाना है, अपने हो या पराये सब को चुपचाप करके दिखाना है, लोहा हूँ मैं अभी मुझे सोना बनकर दिखाना है । जो समाज अभी दे नहीं पाती इज्जत मुझे, उसी समाज से उसी के मंच पर सम्मान पाना है, इस जमाने को बहुत कुछ करके मुझे अभी दिखाना है, पर्वतों की अकड तोड़कर मुझे रास्ता बनाना है । हँस रहे है कुछ लोग मेरे सपनों पर कर रहे तुझसे नहीं हो पाएगा, तुमने देखा कहाँ है दम हमारा मेरा दिल मुझसे कह रहा है तुझसे हो पाएगा । मुझे तो अभी माँ- पिता के सपनो को पूरा करके दिखाना है, मुझे तो अभी अखबार की पहले पेज की खबर बनकर सबको दिखाना है। लोहा हूँ मैं अभी मुझे सोना बनकर दिखाना है, पर्वतों की अकड तोड़कर मुझे रास्ता बनाना है ।