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मानो बस इंसान हो-किस बात से हैरान हो

Sudha Chaudhary 10 Jul 2023 कविताएँ समाजिक 6023 0 Hindi :: हिंदी

किस बात से हैरान हो
मानो बस इंसान हो।
कर्तव्य से परे ना हो
धर्म का अभिमान हो।
किस बात से हैरान हो
    मानो बस इंसान हो।

जो तुम्हारे हाथ है
उसको तुम बदल तो लो
ईमान से काम लो
किसी की तकदीर ही बदल सको
अपने से जो भी मिले
उसमें तुम खुशहाल हो।
मानो बस इंसान हो।

जोर की आजमाइशें है
वैसे ही फरमाइशें है
सिफारिशों पर जो टिके
उसकी तो बात क्या
लोभ से बचे रहो
कर्म बस प्रधान हो।
किस बात से हैरान हो
मानो बस इंसान हो।

लूटना नहीं है हमें
दे दिया तो दान है
हाथ खाली ना हो बस
आत्मा महान हो।
किस बात से हैरान हो
मानो बस इंसान हो।

सुधा चौधरी
बस्ती

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