संदीप कुमार सिंह 10 Jun 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 8242 0 Hindi :: हिंदी
खेल खेल में मेल हैं, मजा गज़ब ही यार। मस्ती का आलम रहें, करें जिन्दगी प्यार।। चलें जिन्दगी खेल में,मिलें शक्ति भी खूब। स्वस्थ्य तन मन भी रहें,सपने हों मंसूब।। खेल प्राण में जान हैं,हसी चेहरा कांत। खुशी खुशी जीवन कटें, रहती चिन्ता शांत।। मत हों मन तूं क्रोध में,खुशियों में मन खेल। समय समय के साथ चल,जैसे चलती रेल।। लड़ें कभी मत खेल में,खेलें नित ही आप। सही रक्त संचार हों,सर्व राह तूं नाप।। ऊर्जा नूतन तब मिलें, जब खेलें नित खेल। सारे शिकवे भूलकर,सबसे रखिए मेल।। बनिए तेज दिमाग से,रखिए यह भी याद। खेल देय नव प्रभाव ही,सदा रहें उन्माद।। भागो मत तुम खेल से,सदा ह्रदय से साथ। नहीं कभी भी हों बुरा, रहें मजबूत हाथ।। जीवन तो यूं खेल है, मन में रख उत्साह। करिए दूर निराश को,लगे आसान राह।। सदा मेल संगीत से,जीवन सुरभीत मान। कभी खेल को भूल मत,रहे बना तब शान।। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....