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डायन- एक डायन जादूगरनी भी है

संदीप कुमार सिंह 05 Jun 2023 कहानियाँ समाजिक मेरी यह कहानी समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3484 0 Hindi :: हिंदी

एक आदमी था। पिताजी उनके गुजर चुके थे। माता जी के साथ वह आदमी रहता था।
शादी हो चुकी थी। उनके दो शादियां हुई थी।
एक बार एक पड़ोसन उसके पीछे पड़ गई थी। जो उसे अपने मोह जाल में फंसाना चाहती थी। और फंसा कर वह मार देती थी मतलब जान ले लेती थी। यह बात उस आदमी को मालूम थी। इसलिए वह आदमी गांव से भागकर अपनी बड़ी वाली पत्नी के यहां पहुंचा। सब ठीक रहा, बढ़िया से स्वागत_सत्कार किया गया। रात में जब खाना खाने की बाड़ी आई तो पत्नी ने खाना लगाई। और उसे पिराह पर बैठने को बोली। वह आदमी पिराह पर बैठा और पहला निवाला लेने ही वाला था की पत्नी ने उसे रोक दी बोली महाराज ठहरो।पति ने पूछा क्या हुआ तो पत्नी ने बोली अब पिराह को वहां से जरा खिसका कर बैठिए। आदमी ने ठीक वैसा ही किया और खाना खाया। लेकिन एक प्रश्न उसके दिमाग में चल रहा था। कि पत्नी ने उसे पिराह घिसकाने को क्यों बोली?
रात में सोने समय में पति ने पत्नी से वही सवाल पूछा। पत्नी ने भी हंसती हुई जवाब दी की महाराज ऐसा है की आप अपनी छोटी पत्नी के यहां पहले नहीं गए यह जानकर वह क्रोधित हुई है। और वह एक डायन_जादूगरनी भी है। अगर आप सीधे जहां खाना लगा था वहीं से खाना शुरू कर देते तो उसका जादू आपके ऊपर चल सकता था। लेकिन मैं भी डायन और जादूगरनी हूं मुझे ऐसे जादू से बचाने का तरकीब मालूम है। इसलिए मैं आपको पिराह खिसका कर बैठने को बोली थी।
आदमी यह सब सुनकर हैरान था और मन ही मन परेशान हो रहा था। उसे नींद नहीं आ रही थी।
जैसे ही पत्नी सोई आदमी वहां से रफ्फू चक्कर हो गया। वह रात में ही भागकर अपनी छोटी वाली पत्नी के यहां पहुंचना चाहता था। किंतु छोटी पत्नी का गांव वहां से काफी दूर था। आदमी को छोटी पत्नी यहां पहुंचते_पहुंचते सुबह हो गई थी। खैर किसी तरह सुबह होते ही वह छोटी पत्नी के यहां पहुंच गया था। छोटी पत्नी भी अपने पति को सामने देखकर बहुत खुश हुई थी। हार्दिक मान_सम्मान के साथ स्वागत की। आदमी भी उसका स्वागत_सत्कार देख कर मन ही मन खुश हो रहा था। फिर रात आई और फिर से खाना खाने की बाड़ी आई। पत्नी ने खाना लगाई एवम् पिराह लगाकर बैठने को बोली। आदमी पिराह पर बैठा और जैसे ही पहला निवाला उठाया तो छोटी पत्नी ने बोली जरा ठहरिए महाराज। पति ने पूछा क्या हुआ? तो छोटी पत्नी ने बोली जरा पिराह खिसका लीजिए। आदमी ने पिराह खिसका कर खाना खाया। लेकिन एक सवाल उसके मन में चल रहा था। कि पत्नी ने उसे पिराह खिसकाने को क्यों बोली थी? धीरे_धीरे फिर सोने की बाड़ी आई पति_पत्नी साथ में सोए, पति ने तुरन्त पत्नी से वही सवाल पूछा कि उसने पिराह खिसका कर क्यों खाने को बोली थी? पत्नी ने भी हंसते हुए जवाब दी की आप अपनी बड़ी पत्नी के यहां से बिन बताए ही भागकर मेरे यहां आ गए हो तो वह नाराज हो गई है और अपने जादू से आपका जान भी ले सकती है। लेकिन जब पिराह खिसका कर खाना खाए तो उसका जादू नहीं चलेगा। आदमी फिर गहरी सोच में डूब गया। और उसे नींद नहीं आ रही थी। जैसे ही पत्नी सोई फिर आदमी वहां से भाग निकला। वह आदमी भागते_भागते बहुत दूर निकल गया अब तक सुबह भी हो चुकी थी। वह एक घनघोर जंगल में भटक रहा था। तभी उसको एक औरत घास काटती हुई नजर आई। आदमी को जब वह औरत देखी तो औरत पूछ बैठी भई आप कौन हो और इस जंगल में क्यों भटक रहे हो? उस आदमी ने अपनी आप बीती उस औरत को सुनाया। वह औरत उसे वहीं बैठने को कहा और बोली अब इधर_उधर मत जाओ क्योंकि चारों और जंगल ही जंगल है। औरत बोली मेरे साथ मेरे घर चलना फिर तुम्हें दिन के उजाले में गांव की और छोड़ देंगे। आदमी के पास तो कोई चारा भी नहीं था। सो उस औरत के पास ही बैठा रहा। जब उस औरत को घास काटे हो गया तो औरत उस आदमी को साथ लेते अपने घर को चली।
वहां जाते ही उस औरत ने अपने 06बहनों से उस आदमी का मुलाकात कराई। अब वह आदमी उसी औरत लोग के साथ रहने लगा। और वह भी घास काटने लगा। लेकिन एक दिन वह आदमी सोच में पड़ गया की इस औरतों के पास तो कोई जानवर भी नहीं है फिर ये औरतें घास करती क्या है? तो उस आदमी ने उस औरत से जो औरत उसे लेकर यहां आई थी से पूछा की तुम लोग घास तो लाती हो, मैं भी लाता हूं लेकिन तुमलोग के पास तो कोई जानवर है ही नहीं फिर घास करती क्या हो? तब वह औरत सारी हकीकत बताना शुरू की। वह औरत बताई की हम सात बहन हैं। सातों में मैं सबसे छोटी हूं। और हमलोग हकीकत में औरत नहीं हूं। मायावी ब्रह्म डाकनी हूं। जो अपनी माया से कुछ भी रूप धारण कर सकती हूं। और यह भी बताई की अब हमलोग तुझे मार कर खा जाएंगे। लेकिन मुझे तुम पर दया आ गया है। इसलिए तुम अब यहां से भाग जाओ नहीं तो मेरी बहनें अब तुझे मार कर खा जायेगी। वह छोटी वाली औरत उस आदमी को वहां से भगा दिया। उस आदमी को भागते देख सभी 06बहनें उसके पीछे दौड़ी। वह आदमी आगे_आगे भाग रहा था पीछे से 06ब्रह्म डाकनी औरत उसका पीछा कर रही थी। लेकिन_लेकिन वह आदमी भागते_भागते एक जमींदार के खेत में पहुंच गया जहां की जमींदार का गेहूं कटाई हो रहा था। तो वह आदमी उन गेहूं काटने वाले लोगों में मिल गया। तो ऐसे में वे सभी ब्रह्म डाकनी औरतें वापस आ गई। वह आदमी भी गेंहू काटने वाले लोगों से बातचीत कर गेंहू काटने लगा। फिर तो वह आदमी उसी गांव का होकर रह गया।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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