Dipak Kumar 21 Jun 2023 कविताएँ देश-प्रेम #विश्वगुरु भारत 5712 0 Hindi :: हिंदी
विश्वगुरु भारत का धर्म, विचारों का ज्ञानसागर अपार। यह देश है अनमोल विभूषण, आदर्शों का सदा प्रणयन चिन्ह। यहाँ संस्कृति विराजती है मनोहारी, भारतीयता का भव्य अभिनय। शांति का प्रचारक, अहिंसा का पुजारी, सर्वधर्म समभाव की वाणी सुनायी। ज्ञान का अमर सूर्य इसकी प्रकाश, अनंत विज्ञान की आराध्य साधना। महर्षि वेदव्यास संहिताओं का आधार, राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर का प्राण। वेद, उपनिषद, गीता की वाणी, जीवन को देती उज्ज्वल मतवाणी। शिक्षा का सागर, ज्ञान का धारा, भारतीय राष्ट्रीयता की पहचान। अर्जुन की भागवत कथा, कृष्ण की रासलीला, राम की विजय, बुद्ध की बोध। श्रीमद् भगवद् गीता की ज्योति, भारत माता के चरणों का नवोदित। विश्वगुरु भारत की महिमा अपार, हरित देश की विशाल विख्याति। सबको सिखाती यहाँ अद्वितीय शिक्षा, जग को दिखाती सच्ची प्रेरणा। ~ Dipak Kumar