Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 39823 0 Hindi :: हिंदी
धान उगेंगे मेघ गरजेंगे देखना गगन तुम जरूर/ बादलो को सूरज से पिघलाएंगे खेतो को पानी से नहलाएंगे, धान उगेंगे मेघ गरजेंगे देखना गगन तुम जरूर/ न रोंदेंगे धानों को न खोएंगे अपने प्राणो को न खोएंगे अपने खेत-खलियानो को न खोएंगे अपने धानों को, धान उगेंगे मेघ गरजेंगे देखना गगन तुम जरूर/ जिस दिन बादल गरजेंगे उस दिन हवा से बादलो को फेरेंगे, धान पकेंगे हमारे खेत में देखना गगन तुम जरूर/ लेखक - अजीत