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हर तरफ झूठ हैं

Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य हर तरफ झूठ हैं 6769 0 Hindi :: हिंदी

हर तरफ झूठ हैं 
इश्क के बाजार में 
हुस्न सजा हैं 
मैं भी निकला हु 
नफरतों के बिच 
मोहब्बत बाटने
पर हर तरफ दिल के 
हाट सजा हैं 
हर तरफ झूठ हैं धोखा हैं फरेब हैं 
मक्कारी हैं रूसबाई हैं 
जिधर देखो उधर 
बस तन्हाई ही तन्हाई 
मन के बेड़ियों में जकड़ा 
ख़ुशी की अंगड़ाई हैं 
सुबह माउसी में सन्ना 
साम अंधकार में समाइ हैं 
रात फ़जीहत से भरा 
तो दिन में प्यार पे घृणा भरी  

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