Pravin Chaubey 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #काव्य #सायरी #पोएम #कवि 8126 0 Hindi :: हिंदी
एक कहानी है मेरी जो अधूरी रह गई करने बैठा था पूरा स्याही ही कम पड़ गई जेल पेन समझ के मैं लिखता गया वो चलती गई में लिखता गया वो चलती गई, कमबख्त इतना लिख दिया की आखरी में स्याही काम पड़ गई एक कहानी है मेरी जो अधूरी रह गई बॉल पेन की तरह उठा के फेक दिया किसी ने उसको ना कीमत समझी किसी ने, ना ही उस की अहमियत कचरे से बनी थी वो कचरे में जा समाई एक कहानी है मेरी जो अधूरी रह गई - प्रवीण चौबे
I am the Restuarant Purchase Manager My hobby is writer...