Ujjwal Kumar 12 Jun 2023 आलेख अन्य Time 7500 0 Hindi :: हिंदी
एक समय था, हम भी सबके लिए अच्छे थे... किसी को कितना भी परेशान करे, कोई बुरा नही मानता था, क्योंकि तब हम बच्चे थे... अचानक कब वक्त ने ली करवट फिर तो हर गलती के हमारे ही नाम के फटते पर्चे थे... पूरे मोहल्ले में बदमाशी में हमारे ही चर्चे थे कोई फालतू नही बोलता था क्योंकि तब सब हमसे डरते थे... फिर अचानक वक्त ने ली करवट और हमारे ऊपर आ गए परिवार के सारे खर्चे थे... पूरे महीने दिन रात करते मेहनत तब कहीं अपने बच्चो की जरूरत पूरी करते थे... हां अब हम पहले की तरह नही हंसते हैं, छोटी छोटी बातो पर अब हम गरजते हैं... फिर एक बार वक्त ने ली करवट जिन बच्चो के लिए करी इतनी मेहनत अब उन्ही के साथ के लिए तरसते है अबकी बार वक्त ने ली आखिरी करवट और हमारे लिए अब सब अपनो की आंखों में आंसू छलकते है स्वरचित रचना ✍उज्जवल कुमार