Pravin Chaubey 30 Mar 2023 शायरी समाजिक #काव्य #सायरी #पोएम 8204 0 Hindi :: हिंदी
ये जिंदगी की रफ्तार है साहब ये तो अपने हिसाब से चलता रहेगा समय कैसा भी हो किसी का वो भी वक्त के साथ निकलता रहेगा अगर कुछ करना है तो वक्त के रहते कर लीजिए साहेब वरना जो वक्त एक बार हाथ से निकल गया वो दोबारा लौट के नही आयेगा - प्रवीण चौबे
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