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बसंत ऋतु पर कविता-चमकती धूप रंगीन फूल

Shivani singh 18 Jul 2023 कविताएँ अन्य 11454 1 5 Hindi :: हिंदी

चमकती धूप, रंगीन फूल,
गाती बहार, खुशियों का जूल।
सरसों की खेतों में भोरी ठंडी हवाएं,
मोह लेती हैं मन को, बसंत की मधुर लहराएं।

फूलों की बहार, परियों का प्यार,
बसंत ऋतु का आगमन, लाता है खुशियों का संगम।
आसमान में चाँदनी, हंसते हुए तारे,
जगमगाते हैं सब, प्रकृति के सजे नजारे।

प्रकृति का यह रंग नया लाता है उत्साह,
हर दिल में बसती है खुशियों की आस।
आँचल में छिपा बसा है सपनों का गाँव,
बसंत की रजनीगंधा सबको कर देती है नाच।

हर कोने से फूलों की बू आती है,
किसी को हंसी, किसी को मधुरता भर जाती है।
बसंत ऋतु आई, खुशियों की बरसाती है,
गुलाबी, हरे, नीले रंगों से सजाती है सबको सजावती है।

माधवी, केवड़ा, चमेली की महक सबको बहलाती है,
बसंत की धूप और रंगीन छाँव सबको मोह लेती है।
प्रकृति की खुशियाँ फैलाती हैं सभी तरफ़,
बसंत ऋतु की आन, खुशियों की भरमार, जग में आती है बहरार।

आओ, मिलकर खेलें बसंत के रंगों में,
मुस्कराएँ, खूब गाएँ, आनंद का उत्सव मनाएँ।
प्रकृति के संग लहराएं आँखों में नया सपना,
बसंत की ऋतु लाई, खुशियों का बहारा, हम सबको मदहोश कराए।

Comments & Reviews

संदीप कुमार सिंह
संदीप कुमार सिंह बहुत खूब, लाजवाब।

9 months ago

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