Raj Ashok 03 Jan 2024 शायरी हास्य-व्यंग सिलसिले 8912 0 Hindi :: हिंदी
एक नज्ब एक सवाल पर कितने बिखर गए यहाँ, युहीं चलते रहे सिलसिले और लाखों मर गए , उलझने कम कहाँ हुई । जिन्दगी मे लौग इघर के ऊघर गए ।
Login to post a comment!
Jai jai ho...