संदीप कुमार सिंह 18 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे। 3420 0 Other :: Other
#विधा:_मुक्तक छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" जलता दीपक आस का,हृदय चाहता खास। लब से निकले प्रेम ही,मिटे सभी की प्यास। सफल भव्य किरदार से,मिले अलग पहचान_ चलूं सदा तकनीक से,कर के तेज विकास।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....