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भूख की कामना

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #अम्बेडकर नगर पोइट्री#रामबृक्ष कविता#भूख पर कविता#भूख की कामना कविता रामबृक्ष 57182 0 Hindi :: हिंदी

कविता-भूख की कामना

भूख दिखाई नहीं देती,
दिखाई देते हैं
भूख से तड़पते लोग
कुछ को वो भी नहीं
सिवाय अपने के,
न भूख की पहचान है,
न भूख पहचानती है
जूठा भात
न गिनती है
बासी रोटी का दिन
सिवाय खाने के,
देखा है भूख के नाम पर
लोगों को ठगते
या ठगे जाने के,
भूख की जाति नहीं है
न धर्म
फिर न जाने क्यूं!
छोटे बड़े बिरादरी में
बटे हुए लोग
भूख मिटाने से
इन्कार करते हैं!
भूख छोटी बड़ी नहीं है
न इंसान
फिर भी 
भूख हमें मारती है
सताती है
हमें क्या से क्या
नही बनाती!
हम भूख को नहीं,
भूख सीधी साधी नही है
न समय
इंसान को मिलाती है
अलग करती है
भेजती है कहीं दूर
कमाने को
भूख की कामना है
मिले रोटियां
मद भरा कोई
प्याला नहीं। 
 
रचनाकार- रामवृक्ष,अम्बेडकरनगर    

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