भूपेंद्र सिंह 17 Dec 2023 ग़ज़ल अन्य पढ़ाई ,शिक्षा,शायरी गजल 4075 0 Hindi :: हिंदी
दिन रात पढ़ कर कुछ मुकाम हासिल करना है, मैं किसी और को मदद के लिए पुकार नहीं सकता। चंद लम्हे और फिर मिल जाएगी सफलता , इतना नजदीक आकर मैं मेहनत का नशा उतार नहीं सकता। लगा हूं पढ़ने में अब रुकूंगा नहीं, किताबें हैं सवर रही कमरा सवार नहीं सकता। जानता हूं पापा मजदूरी करके पढ़ा रहे हैं , पढ़ूंगा मैं मां के ख्वाबों को मार नहीं सकता। जानता हूं जिंदगी तेजी से गुजर रही है , शांति से काम लूंगा किताबों को फाड़ नहीं सकता। रास्ते में आएंगे विघ्न अनेक मैं लंगड़ा कर भी चलूंगा, मगर हार नहीं सकता मैं हार नहीं सकता।।✍️✍️