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व्यक्ति के सोच और संघर्ष से समाज में बदलाव

Rajendra Prasad Gupta 11 Jun 2023 आलेख समाजिक #समाज #परोपकार 5189 0 Hindi :: हिंदी

किसी छोटे से गाँव में एक युवक ने सामाजिक स्वर्णिमता का ध्यान अपने मन में जगाना शुरू किया। उसे यह महसूस होता था कि समाज में अनेक समस्याएं हैं और उन्हें समाधान करना उसका धर्म है। वह चाहता था कि लोग अपनी समस्याओं को समझें और उन्हें समाधान करने के लिए आवाज उठाएं।

उसने इस सोच को अपने दोस्तों और परिवार सदस्यों के साथ साझा किया। शुरूआत में, कुछ लोग उसे हँसते और उसकी सोच को उत्पीड़ित करने का प्रयास करते थे। लेकिन युवक अपने लक्ष्य के प्रति पक्का था। उसने दुनिया की बदलाव की ताकत को महसूस किया और यहां तक कि जब लोग उसे नकारने की कोशिश करते थे, तब भी उसने निरंतर मेहनत करना जारी रखा।

धीरे-धीरे, उसकी आवाज सुनने वाले लोग बढ़ने लगे। उसके विचार और सुझाव लोगों के दिमाग में गहराई तक उतरने लगे। लोगों की सोच में परिवर्तन हुआ और उन्होंने भी इस सामाजिक सवाल पर ध्यान देना शुरू कर दिया।

एक दिन, उस युवक ने एक बड़ी सभा आयोजित की और वहां प्रतिष्ठित लोगों को बुलाया। सभा में उसने अपने सोच को साझा किया और देखा कि लोग उसकी बात सुनने के लिए उत्सुकता से तैयार थे। उसने लोगों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए कुछ सरल उपाय भी बताए।

सभा के बाद, लोगों ने उसे बधाई दी और उन्होंने कहा कि उसकी बातें उनके दिलों में एक परिवर्तन लाई हैं। अब वे भी सामाजिक सवालों को उठा रहे थे और उन्हें समाधान करने के लिए जुट रहे थे।

यह युवक की कहानी हमें यह सिखाती है कि एक व्यक्ति के सोच और संघर्ष से समाज में बदलाव लाया जा सकता है। इंसान को अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी समझनी चाहिए और उसे समाज में प्रभावी परिवर्तन लाने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए। चाहे वो सामाजिक, आर्थिक, या राजनीतिक मुद्दे हों, यदि हमें बदलाव चाहिए, तो हमें पहले स्वयं में उस बदलाव की प्रेरणा और सामर्थ्य देखना होगा।

यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारी आवाज़ महत्वपूर्ण है और हमें सामाजिक मुद्दों को उठाने और समाधान करने के लिए अपनी आवाज़ का इस्तेमाल करना चाहिए। हमारी संघर्ष और निरंतर प्रयास से हम सामाजिक स्वर्णिमता की ओर बढ़ सकते हैं और एक सशक्त, समर्पित, और सामाजिक ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी पहचान बना सकते हैं।

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