Baba ji dikoli 08 May 2023 कविताएँ समाजिक Kaveeta 21305 0 Hindi :: हिंदी
एक आजाद पंछी कैद में रहता है अब..... कभी साखो पर गुनगुनाया करता था गीत बहुत बेचारा चुप ही रहता है अब..... घुमा करता था सारी दुनिया जो कभी बो पिंजरों में सोया रहता है अब... हुआ करता था यादो में जो सबकी वो यादो में खोया रहता है अब..... हुआ करती थी एक चिड़िया से उसकी प्रेम कहानी तब.. करता था बो व्या अपनी मुह जुबानी सब... पूछो तो रो देता है अब ... बहुत खुशहाली थी उस जंगल में तब... मेने पुछा क्यों नही आजाद हो जाते हो यहाँ से तो कहता है वहाँ भी पतझड़ है अब...... @baba ji dikoli