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तू है धरा पंचभूत अविरल

मोती लाल साहु 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक धरती पंचमहाभूत निर्मित ब्रह्मांड का श्रेष्ठ अंश सिर्फ इसी में जीवन है,मूल जरूरत हवा-पानी-अन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। जीव कर्म-अकर्म करते और भोगते हैं,न्याय यहीं होता है स्वर्ग-नरक यहीं है। 8260 0 Hindi :: हिंदी

तू है धरा पंचभूत अविरल,
तू ही है ब्रह्मांड श्रेष्ठ अंश।।

जीव पलते तुम्हारे आंचल,
करते-भोगते कर्म व अकर्म।।

सबका तू ही है कर्ता-न्याय,
ममता तेरी हवा-पानी-अन।।

स्वर्ग-नरक मांँ तुम्हारे गोद,
तू है धरा पंचभूत अविरल।।
मोती-

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