Phool Jahan 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत 104912 0 Hindi :: हिंदी
इसलिए आज मेरे सर पे कोई तारा ही नही मेरी किस्मत को किसी ने भी सबारा ही नही । बो भी खुद्दार थी उसने मुडकर देखा ही नही मे भी जिद्दी थी मेने भी उसको पुकारा नही । मोहब्बत में दूरियां बढती चली गई इतनी कि अब उनसे मुलाकात का कोई चार ही नही। घर से निकलती हूँ जब भी मे बाहर तो लगता हैं जैसे चांद के साथ कोई सितारा ही नही । क्या करू बिन तेरे जीया नही जाता अब दोस्ती के बिना मेरा गुजारा ही नही।