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जोशीमठ

Pinky Kumar 30 Mar 2023 आलेख समाजिक 7324 0 Hindi :: हिंदी

जोशीमठ यह नाम काफी प्रचलित हो रहा है। चलो पहले हम इसके बारे आपको थोड़ जानकारी देते है। भारत के उतर में बसने वाला उत्तराखंड के देव भूमि या में कहु कि भारत के चारो धाम यही स्थित है। और इतना ही नहीं यहाँ पर हमें बहुत सारे छोटे बड़े मंदिरो के भी दर्शन देखने मिलते है। कुछ मंदिर तो ऐसे है हम और भली भाति जानते है। और हर साल हम उन मंदिरो के दर्शन के लिए हर साल जाते है। रही बात अब हम उत्तराखंड में बसने वाला वो देव भूमि जाहा इस समय प्राकृति आपदा का शिकार बना हुआ है। यही नहीं प्राकृति आपदा आने के कारण वहा पर रहने वालो का जन जिव बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। लोग घर छोड़ने को मजबुर हो गये है। वहाँ के लोगों के घरो में दरारे पड़ गयी हैर पुरा जोशीमठ धस सा गया है। हम और आप भली भाती जानते है में अपने लेख में हमेशा लिखती हूँ कि इस इस पृथ्वी का और इस धरती का सबसे बड़ा दुश्मन हम इंसान है। हम इंसानों ने जानवरो को भी पिछे छोड़ दिया है। बस अंतर इतना है। कि हमारे घर होते है। और जानवर जंगलो में रहते है। हम थोड़ा इजदार जानवरों में आते पर आते जानवरों में ही है जानवर सिर्फ एक दूसरे का शिकार करके अपना पेठ भरते है। और हम इंसानों ने जानवरो को, पेड़ ,पौधे ,पाहाड़ो, नदियों जंगलो को किसी को भी नहीं छोड़ा सब को अपना भोग विलास का साधन बनाकर खाये जा रहें है। किसी चिज का विकास चाहिये भाई जितना हम इंसानों को विकास करना था वो तो कर ही लिया आये साल भूकंप तूफान बाढ़ भूस्खलन आदी अनेक आपदाओं से गुजरते है।फिर भी नहीं सुधरे क्योंकि हम थोड़े इज्जतदार जानवरो में आते है। अरे सरकार के पास इतना ही पैसा है तो देश कि गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी, मंहगाई को दूर करे जो हर साल आने वाली बाढ़ में लाखो लोग बेघर होते उनके सहायता कार्यों में लगाये नहीं हमें तो देश में मंहगाई बढ़ाकर देश कि जनता से पैसे लेकर पहाड़ो को सिना चिर कर विकास करना है। आपदा आती है तो सरकार क्या जाता है। मरती तो वहा कि आम जनता है।भूखी प्यासी जनता घर से बेघर होने को विवश हो जाती है।

आज जो जोशीमठ में हो रहा है। इसका पूरा दोष सरकार को जाता है। सरकारे अपना फायदा करने के लिये किसी भी हद तक जा सकती उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता की लोगों के घर टूटे या कोई मरे या जिये इन्हें तो विकास करना है। पाप करे कोई दूसरा और भूगते आम लोग और मिडिया भी इसमें पिछे नहीं है।

वो सरकार कि वफादार बनकर सरकार कि नाकामी और गलतियो को छुपा रहीं है। किसी सरकार का भक्त होना सहीं है। पर अन्धभक्त होना गलत है। मिडिया काम है।

सच का साथ देना नाकी किसी विशेश पार्टी का साथ देकर उसकी नाकामीयो को दबाकर रखना हम इंसानों को जितनी सुंख सुविधाएं मिली हम उतना ही इन सुख सुविधा का गलत फायदा उठाते आये है। जोशीमठ कोई पहली घटना नहीं है। ना जाने इन जैसी आपदाओं का हम हर साल सामना करते है। हर साल लाखों लोग घर से बेघर होना पड़ता है।

लाखों लोग आने वाली हर साल आपदाओं कारण भूखे रहने के कारण मरना पड़ता है। और केदारनाथ तो भूगत भी चुका है। और अभी भी भूगत रहा है। जोशीमठ में जो हुआ एक तरह से यह भगवान का संदेश है।

कि सुधर जाओ अभी भी समय है। नहीं तो इसका खामियाजा हम सब को भूगतना पड़ेगा देश कि महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, भूखमरी ऐसे ना जाने तमाम मुदे है उनको दूर करने का कोई रास्ता नहीं है। चले पहाड़ पर  रास्ते बन्नाने और अगर हम मिडिया कि बात करे तो मडिया भी इसमें पिछे नहीं है। मिडिया भी जनता को महत्वपूर्ण मुद्दों से हमारा ध्यान बटाती है। मिडिया का काम है। निष्पक्ष होकर अपना काम करे ना कि सरकार कि कट पुतली बनकर हम मानव प्रकृति को जितना नुकसान पहुचा सकते थे हमने पहुंचाया और वही गलती हम अब कर रहें है। हम जनता हमारे स्वार्थ के लिय सरकार से सारी मांगे पुरी करवा लेते है। बात आय प्रकृति कि तो हम एक दूसरे को दोष देते है। हमें अन्दाजा नहीं है। कि हम इंसान इस पृथ्वी और इस धरती पर रहने वाले वन्य जीव जन्तुओं और प्रकृति संपदाओं के लिये कितने खतरनार बनते चले जा रहें है। जैसे हमारा जिवन हमें अपने लिये जरूरी लगता है।  वैसे ही इस धरती पर हर एक छोटी से लेकर बड़ी वस्तुओं का होना हमारे लिये और इस धरती के लिये बहुत जरूरी है।  उत्तराखंड आपका और हमारा आस्था और धार्मिक शहर है। जहाँ स्वयम महादेव वास करते है। अगर किसी इंसानो द्वारा कुछ गलत किया जायेगा तो प्राकृतिक आपदाये आने से हम और आप नही रोक सकते कृप्या करके उसे अपने स्वार्थ का साधन ना बनाये जिस धरती पर स्वयम देवता विचरण करते है। उस जगह को हमने नहीं छोड़ा ना जाने ऐसी तमाम जगह जिसे हमने उन्हें अन्दर से खोखल कर दिया कही तो भगवान के नाम से हम उन्हें खाये जा रहे है। और जब प्राकृति अपना प्रचअन्ड रूप दिखाती है। तो तब भी हम भगवान को दोष देते है। क्योंना हम अपनी गलतीयो सुधारे पर नहीं हम इंसानो में एक आदत बहुत बुरी है। अपनी गलती किसी और पर डाल देना गलती करते हम है। और भूक्ते कोई और ऐसा क्यों और कृप्या करके सरकार भी इन मसलो पर ध्यान दे क्यों कि सरकार कि मरजी के बगेर कुछ भी नहीं होता कही ना कहीं सरकार जब साथ देती है तभी ऐसा होता है उतराखंड एक धार्मिक स्थल है। उसे वैसे ही रहने दो रेवताओं का स्थान मत छिनो वो देव भूमि है। वहाँ देवता निवास करते है। कृप्या करके उन्हें अपने स्वार्थ का सांधन ना बनाये तो अच्छा है। प्रकृति जैसी उसे वैसे ही रहने दो विकास करना है तो देश में काफी अपराध होते उन्हें दूर करो और मिडिया गलत चिज पर सरकार का साथ ना देतो अच्छा क्यों कि जनता अन्धी नही है। समझों और गलत बातो का विरोध करो

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