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यह जन्म निरर्थक

आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #काश ऐसा होता #kash esa hota #मेरे साथ ग़लत हुआ #पुष्प #पत्तियाँ #पुनर्जन्म #punarjanm #दुःख #sorrow #आकाश अगम #Akash Agam #कविता #kavita #छंद क्या है #छंद का उदाहरण #आँसू छंद #chhand kya hai 45551 0 Hindi :: हिंदी

( अपने बचपन का अधिकांश भाग मैंने यह सोच कर निकाला कि भगवान ने मुझे बिना कुछ दिए ही भेज दिया । विद्यालय में सुनता था  "तुम्हारे पास दिमाग़ नहीं है , तुम्हें कोई सूत्र तक याद नहीं होता।"  और घर में " कौन से स्कूल में पड़ते हो जो छोटे मोटे हिसाब भी नहीं कर पाते।"
मुझे लगता था कि मुझे उन कर्मों का दण्ड मिल रहा है जो मैंने किए ही नहीं। अपनी उस सोच को और आज की सोच इन कुछ छन्दों में कविता रूप दिया है। )

ये जन्म लिया जो मैंने
इसमें दुख अमित मिला है
कहती है धड़कन मेरी
मुरझाया पुष्प खिला है।

पत्तियाँ मग़र कुछ सिकुड़ी
रह गयीं पुष्प के भीतर
जो उलझन पैदा करतीं
जी लूँ या जाऊँ मैं मर।

कह भाव रहे यह मेरे 
यह जन्म निरर्थक होगा
दुष्कर्म नहीं थे मेरे
जिनका फल मैंने भोगा।

अतएव अंत कर दूँगा
मैं अपने इस जीवन का
आऊँगा पुनः जनम ले
चमकेगा सूरज कल का।

कह मर जाते जो ऐसा
दुष्कर्म बड़ा करते हैं
ख़ुशहाली मुख बिन देखे
वो सात जनम मरते हैं।

विश्वास छोड़ दो कल का
दो पल का हर दुख पी लो
सातों जन्मों की ख़ुशियाँ
बस इक जीवन में जी लो।

        

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