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रब ने क्या खूब बनाया है-इस सृष्टि को

Sandeep ghoted 11 Jul 2023 कविताएँ समाजिक क्या खूब बनाया है famous poem 6109 1 5 Hindi :: हिंदी

रब ने क्या खूब बनाया है 
इस सृष्टि को 
सुबह नित्य जल्दी सब उठते हैं 
अपने काम को हो रवाना 
सब ढलते चलते हैं
 जीने मरने का खेल ये
 जो खूब रचाया है इसने 
पिंजर में आत्मा वासे तो 
शरीर रहा खड़ा नहीं तो माटी है 
सब आत्मा है तब 
तक मन जगता है 
जो दीपक तेल के भांति चलता है 
दिन ढले तो सारे घर को रवाना 
बच्चे बूढ़े सब ढले हैं इसमें 
सब अपने काम को हो रवाना चलते फिरते हैं
 शाम को पंथी
 शाम को पक्षी
 ऊपर जो नीला आसमां
 नीचे है खेत खलियान 
यह जीवन जो करुण की अग्नि में जल रहा है

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Sandeep ghoted
Sandeep ghoted क्या खूब बनाया है सृष्टि को इस सृष्टि में लोग किस प्रकार दोस्त हैं सुबह नित्य जल्दी अपने काम के लिए उठते हैं और शाम को जल्दी एक पक्षी की तरह जो पक्षी अपने घोंसले को घर समझकर वापस लौटता है अपने बच्चों की तरह इस प्रकार मानव शाम होते ही अपने बच्चों की तरफ अपने घर की तरफ आता है इसमें जन्म मरण का खेल भी बहुत खूब शरण लिए हुआ है

8 months ago

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