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किसान की दयनीय दशा

Kirti singh 30 Mar 2023 आलेख समाजिक कुछ किसान कर रहे हैं आत्महत्या भोजन के के अभाव में 91416 0 Hindi :: हिंदी

किसान को चुभते हैं यह शब्द जब लोग कहते हैं उससे अन्नदाता जब किसान की फसलें डूब जाती है जल जाती है तब उस समय किसान खुद जलता है डूबता है और शायद उसे उस वक्त कोई कर्ज भी नहीं देता तब किसान को भूख बुझाने के लिए अपने उस धरती को गिरवी रखना पड़ता है जिसमें उसकी जान बसती है और कर्ज पर कर्ज बढ़ता है और 1 दिन अन्नदाता खुद के लिए झोली फैलाता है कुछ दिन ऐसे ही गुजरते हैं फिर भीख भी बंद हो जाती है वह अपने परिवार का भरण पोषण भी नहीं कर पाता और कई रातें अपने परिवार के साथ भूखे पेट गुजरता लेकिन जब बर्दाश्त नहीं हो पाता तो पेट की अग्नि शांत करने के लिए खुद  अंधे की भाती आग में कूदकर कोयला बन जाता परिवार करता विरह विलाप और पेट के भरण-पोषण के लिए नन्हे बच्चे हाथों में उठा लेते हैं मजदूरी का हथोड़ा। Kirti singh

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