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चुनाव प्रचार

Anonymous 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग #upचुनाव प्रचार 22597 0 Hindi :: हिंदी

चुनाव प्रचार और नेता जी


मेरे गांव के सड़को का,
भाग्य बढ़ गया ,
पड़ी धूल की स्थिरता में,
उमंग चढ़ गया,
दूर से ही धूल की रवानगी,
एक संदेश दे रहा है,
गांव वालो ,
एक नेता और आ रहा है ।

सड़कों के गड्ढे ,
उनका न खोज है,
न गाली,
न शिकवा ,
न शिकायत,
नेता के आने से ,
आज मेरे गांव में,
कीचर की गलियों,
पगडंडियों का मौज है ।

पेड़ो के पत्ते और सड़कों की झाड़ी,
झूम रहे देखकर,
नई_नई गाड़ी,
गांव के चौराहे भी,
खुश हो उमड़ती है,
आज देखो,आ गई,
नेता की बारी ।

कर जोड़ ,जीत की,
हुंकार भरती टोली,
दादी के चरणों में,
मीठी प्यारी बोली,
बउआ को भाई, 
भाई को चाचा,चाचा को,
दादा कह करते ठिठोली ।

नेता जी गांव में,
बरगद के छाव में,
बनकर शिकारी,
आए मेरे गांव में,
मोहनी मंत्र मारकर,
सुख दुख जानकर,
झूठे वादे तानकर,
चले फिर ताओ में ।

आ गाय नतीजा,
चुनाव का ?
वही बुरा हाल है,
गांव का,
गड्ढे भी वही,
कीचर भी वही,
चौराहे पर,
अभाव है भाव का।

सुख गई झाड़ियां,
पत्ते भी गिर गए,
आने वाली सड़के,
गांव से मुड़ गए,
नेताजी की वादे,
धूल जैसे उड़ गए
धूल जैसे उड़ गए।।।


स्वरचित
पंकज कुमार रामजी

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