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मुझे माफ कर दो-प्रकृति असत्य और बुरे कर्मों की सजा देती है

DINESH KUMAR KEER 05 Feb 2024 कहानियाँ बाल-साहित्य 6625 0 Hindi :: हिंदी

मुझे माफ कर दो : - 

श्याम लाल अत्यन्त सरल स्वभाव का व्यक्ति था । वह भाग्य से अधिक कर्म करने पर विश्वास करता था । इसके लिए उसका अपना परिचय कठोर सख्त - स्वभाव का था । अनुशासन और मान मर्यादा के लिए उसने घर - गाँव परिवार में नियम कठोर बनाये थे । जो उसके नियमों का पालन नहीं करता था, वह उन्हें कठोर सजा देता था । परिस्थितियों और संकटग्रस्त लोगों की वह भरपूर मदद भी करता था ।
उसके पोते आनंद ने देखा कि सब लोग दादा जी से डरते हैं । यहाँ तक पिता जी भी । ऐसे में मेरी स्वच्छन्दता तो नहीं चल सकेगी । एक दिन वह घर से भाग निकला ।
घर में अशान्ति सी छा गयी । सभी लोग दादा जी को उलाहना - दोष देने लगे। दादा जी भी परेशान हो उठे।
वे उसे ढूँढने निकल पड़े । बहुत दूर पहुँचकर एक सुनसान जगह पर उन्हें कुछ आवाजें सुनायी दीं । नजदीक जाकर देखा तो कुछ शरारती लड़के आनंद की पिटाई कर रहे थे।  दादा जी ने आव देखा न ताव । फुर्ती से वहाँ पर आ धमके और उन लड़कों को भगाया ।
अब आनंद को अपनी गलती का एहसास हुआ । वह दादा जी के पैरों पर गिर पड़ा और गिड़गिड़ाकर बोला - "दादा जी ! मुझे माफ़ कर दो ! मैं जिसे आपकी सख्ती मानता था, वह तो एक मजबूत ढाल हमारी सुरक्षा है, जिसमें कोई सेंध नहीं ।" यह सुनकर दादा जी बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने आनंद को गले से लगा लिया ।

संस्कार सन्देश :- प्रकृति असत्य और बुरे कर्मों की सजा देती है, इसका हमें ध्यान रखना चाहिए ।

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