Baba ji dikoli 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य आत्मकथा/कहानी/शायरी/विज्ञानं/ज्ञान/संघर्ष/ 87769 0 Hindi :: हिंदी
आओ बैठो पास मेरे तुम्हे अपनी कहानी सुनाता हूं जो मेरे साथ हुआ बो सब आज बताता हूं बचपन गुजरा रंगीन फिजाओ में ,कुछ नमी थी उन हवाओ में इस हँसी लम्हो का फिर दौर ढला बचपन का हसीं वक्त चला फिर आई जवानी नयी मिली हमको भी जिम्मेदारियां कई मिली था खुद के सपनो को सवारन हमको भी था जीवन में कुछ नया करना असफलताओं ने हमको डरा दिया जिम्मेदारियों ने हमको हरा दिया सबकी तरह हमने भी किसी से दिल लगा लिया उसकी मोहोबत ने हमको भी नाकारा बना दिया जब ये बात समझ आई उनसे न मिलने की हमने भी काशमे खाई फिर जिंदगी में नया मोड़ आया जिम्मेदारियों का घनघोर संकट छाया में फिर डर गया मेरा जूनून भी मर गया खुद से हमने समझौता कर लिया फिर पढाई को अलविदा कह दिया अब जिंदगी बीरान चल रही है मंजिल की तलाश में हु पर मंजिल नही मिल रही है @#BaBa ji dikoli