Mukesh Namdev 22 Aug 2023 शायरी समाजिक सिक्कों की खनखनाहट,जिम्मेदारियाँ 11430 0 Hindi :: हिंदी
"सिक्कों की खनखनाहट" "निकल आया हूँ,बहुत-सी जिम्मेदारियाँ छोड़ के,माँ का ख्याल,पिता की चिंता, बेटे जैसे छोटे भाई को छोड़ के,जिम्मेदारियाँ के तले बस चंद सिक्कों की खनखनाहट के लिये" #Mukesh Namdev