कविता पेटशाली 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 72274 0 Hindi :: हिंदी
सदृण सा इक रिश्ता अब भी निभा रही हूँ ,मैं,। इस, रिश्ते ,में, बातों का ,दौर खत्म है,। फिर, भी ,एहसास, न, टूट जाये,। उम्मीद का आखरी सफर निभा रही हूँ,मैं। मुर्दे ,की ,हालत में , पहुंचाया ,। कायनात इक जाग पाया,। अब भी खंजर पर लगा मेरा खून,। माथे लगा रही हूँ ,मैं। देखते, हो, न,कलम तुम,। तस्वीर नहीं हूं,मैं,। कविता हूँ,। आंखों से खारा जल का ,इक दरिया बहा रहीं हूँ,मैं,। मगर मेरी नम आंखों को निहारता यह कागज,। कह रहा हो,।माना, तुम्हें भी अपनी कीमत बता रहा हूँ, मैं,। कविता हूँ, मैं जागती हूँ,। सुलगते ~ सुलगते मेरे हालातों में ,। ख्याल ,इक ,अपने ,का ,अभी ,भी,निभा ,रही हूँ,मैं,। गैरों के आंगन में ठहरा बारिश,। नहीं ,धुलती ,अपने पैरों की धूल,। फिर, भी, किसी के लौट आने कि खबर हो,। खाली ,रास्तों से कितना बेवजह बता रही हूँ,मैं,। सफ़र यह रहे जैसा भी ,। गरीबी के लिबाज में,। हर ,मुकाम पर इक इस्तेहार को अपना खोया प्यार बता रही हूँ,मैं। इस ,रिश्ते ,में ,बातों का दौर खत्म है,। उम्मीद ,का ,आखरी सफ़र निभा रही हूँ,।मैं।। कविता पेटशाली✍️♥️❤️❤️❣️❣️💕🌸💐😍
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