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संसद

Mohan pathak 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग प्रजातंत्र 29192 0 Hindi :: हिंदी

                 संसद।                                      
 अध्यापक ने कक्ष| में                     
 घुसते ही पूछा,                              
डू यू नो व्हाट इज पार्लियामेंट।                                
आज सुबह ही तो                     
दूरदर्शन पर देखा             
पार्लियामेंट।                           
 जहां सब एक दूसरे की            
खींच रहे थे पेंट।                        
यह सब देख हम ।                      
 रह गए दंग।                             
ठीक तभी सभा की                   
गयी भंग।                                  
हो अगर आज्ञा तो                   
अभी लोक सभा                   
विधान सभा खेल                  
दिखाते हैं।                            
 सभी कक्षा से उठ                     
चले जाते हैं।                          
 बच्चों ने मिलकर एक               
संसद बनायी।                       
विपक्ष के प्रश्न पर                    
मंत्री ने आपत्ति जतायी।           
विपक्ष कर गया                     
तुरन्त वक आऊट।                  
अध्यक्ष ने फटकारा                   
 डोंट शाउट।                           
कुर्सी तोड़ तोड़ फेंकने               
लगे एक दूसरे पर।                  
 तभी प्रधानाचार्य पहुंचे             
कक्ष द्वार पर।                         
देख तमाशा गुस्से                        
में गुर्राए।                       
प्रधानाचार्य की हालत पर           
सभी मुस्कराए।                       
शर्मा जी पर पड़ी                       
जोर जोर की डांट।                 
बच्चों ने खेला लोकसभा विधानसभा पाठ।                    
  तब शर्माजी लगे समझाने         
संसद वो बला है।                     
जहां प्रतिनिधियों को                
 चुन कर हम ही भेजते हैं।             
 फिर अगले पांच साल तक    
पछताते रहते हैं।                       
फिर आती बारी चुनावों की         
वही मीठे मीठे वायदों की।      
बहकावे में आकर जनता।          
फिर से उन्हीं को                      
निज प्रतिनिधि चुनती है।             
यह प्रक्रिया सतत या             
समझो हमारी मजबूरी।             
यही वह भूल है                     
जिससे देश बन रहा भिखारी।   

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