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सनातन धर्म पर बिगड़े बोल

virendra kumar dewangan 15 Sep 2023 आलेख धार्मिक Spritual 10313 0 Hindi :: हिंदी

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पुत्र और स्वयं मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने जहां सनातन धर्म को मलेरिया, डेंगू और कारोना से भी खतरनाक बता दिया है, वहीं इसके विरोध करने के लिए नहीं; बल्कि इसके समूल नाश का आव्हान कर दिया है। 

इसी तरह इस जहरबूझे तीर का असर होने लगा था कि कर्नाटक के एक मंत्री, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष के बेटे, नाम है-प्रियांक खड़गे, ने उनका समर्थन कर जलती आग में घी डालने का काम कर दिया। वहीं, द्रमुक के एक और नेता टीकेएस एलंगोवन का कहना है कि सनातन धर्म समानता के विचार का विरोधी है। ऐसा ही विचार डीएमके दो और मंत्रियों ने व्यक्त किया है। लगता है कि डीएमके में प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन कितनी अधिक मात्रा में सनातन धर्म के खिलाफ जहरीला बयान दे सकता है?

अभी विवाद जोरों पर था कि पूर्व केंद्रीयमंत्री, वर्तमान में डीएमके सांसद और उपमहासचिव ए राजा ने सनातन धर्म को कुष्ठ रोग और एचआइवी से तुलना कर ऐलान किया कि यह सामाजिक कलंक है।

इसके विरोध में भाजपाइयों ने कमान संभाली। केंद्रीयमंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ऐसे बयान विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के मानसिक दिवालियेपन और उसके गहराते हिंदूफोबिया को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि देश देख रहा है कि कैसे कांग्रेस और उसके साथी दल जानबूझकर भारत की आत्मा, भावना और जड़ों को बदनाम करने पर तुले हुए हैं?

यही नहीं, केंद्रीयमंत्री स्मृति इरानी, गिरीराज किशोर आदि व संदीप पात्रा, रविशंकर प्रसाद, सुधांशु द्विवेदी आदि प्रवक्ताओं ने कांग्रेस व उसके साथियों पर जमकर जुबानी तीर चलाया है।

इसके जवाब में जहां बड़े-बड़े कांग्रेस दिग्गज चुप्पी साधे बैठे हुए हैं, वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने गोलमोल जवाब देकर अपनी पार्टी का बचाव किया है। उसका कहना है कि कांग्रेस सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखती है और आइएनडीआइए के सभी घटक दल सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। जबकि उन्होंने द्रमुक के नेताओं को एक शब्द नहीं कहा, जो सनातन धर्म के खिलाफ विषैला बयान दे रहे हैं और जिसके साथ मिलकर वे तमिलनाडु में गठबंधन सरकार चला रहे हैं।

फलस्वरूप मुजफ्फरपुर में ए राजा व प्रियांक खड़के  के विरूद्ध सीजेएम यानी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में परिवाद दाखिल किया गया है। साथ ही, विश्व हिंदू परिषद ने भी एफआइआर दाखिल कर दिया है। वहीं, बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष हरि सहनी ने कहा है कि सनातन का विरोध करनेवालों का वध होना चाहिए। यही नहीं, एक संत ने उदयनिधि का सिर कलम करनेवाले को 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा कर डाली है।

आश्चर्य तब होता है, जब बात-बात पर अपने थोथे विचार रखनेवाले तमात विपक्षी नेताओं को ऐसे संदेवनशीन मसले में सांप क्यों सूंध गया है? इस संबंध में वे अपना मुंह क्यों नहीं खोल रहे हैं? क्या उन्हें तुष्टीकरण से कबाड़े गए वोटबैंक खिसकने का डर सता रहा है? जबकि इसमें होना यह था कि आइएनडीआइए का कोई बड़ा नेता सामने आता और अपने दही लगे मुंह को खोलकर सनातन धर्म के बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करता।

सनातन धर्म कोई नया धर्म नहीं है। यह चीरस्थायी और चीरायु है। इसे भारतीय ऋषि-मुनियों व मनीषियों ने वेदों व पुराणों के माध्यम से स्थापित किया है। रामायण और गीता सनातन धर्म के दो ऐसे गं्रथ हैं, जिन्हें भारत में ही नहीं, दुनियाभर में ससम्मान पढ़ा और अनुसरण किया जाता है। 

जिसे न मुस्लिम आक्रमणकारियों ने और न ही अंग्रेजों ने, जो भारत को एक हजार साल तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रखा, नष्ट कर पाए, तो ये शोशेबाज व ओछे नेता क्या विनष्ट कर पाएंगे? बल्कि उन्हें तो अपनी दुर्बुद्धि, मूढ़मति का खात्मा करना चाहिए और विशाल सोच रखना चाहिए कि यदि कोई इस्लाम धर्म व ईसाई धर्म या अन्य धर्म के बारे में ऐसी बातें कहेगा, तो उनके धर्मावलंबियों पर क्या गुजरेगा और उनका कैस हश्र किया जाएगा?
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