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मुझे पता नहीं था ।

Jeevan kumar 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद जीवन एक साहित्य 80237 0 Hindi :: हिंदी

  छूत - अछूत का पता नहीं ,
    न मित्र ने मुझे सिखाया ,
उस दो बूंद - छूत पानी ने ,
  मुझे मौत के गले मिलाया ।

 मुझे पता नहीं था .................
   मुझे पता नहीं था,
 पानी मेरी मौत होगा,
 न लिखा उस घड़े पर,
  मेरी मौत का सौगात ।

 !गर जीव हत्या घड़े से होती,
  तो न पिता जलपान,
मुझे पता नहीं था...…...............
मुझे पता नहीं था , घड़ा मेरी मौत होगा ।

 तुम्हारा घड़ा छूत कहलाता,
 हम छूते अछूत हो जाता ,
 मुझे पता नहीं था ..........…......

घड़ा तुम्हारा अमृत का झरना,
अमृत पिओ इंसान कहलाता।
मुझे पता नहीं था...................
  मुझे पता नहीं था घड़ा मेरी मौत होगा ।
                                                      ( जीवन)  
 

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