Ranjana sharma 30 Mar 2023 कहानियाँ अन्य Google 74676 0 Hindi :: हिंदी
एक ड्राइवर प्रतिदिन अपने साहब को ऑफिस से लेकर घर तक छोड़ने जाता था, पर रास्ते के बीच में एक स्ट्रीट लाइट के पास साहब के कहने पर रुक जाता था जो उसके साहब के घर से कुछ दूरी पर थी।उस ड्राइवर को उसके साहब रोज वहां रुकने के लिए कहता था इसलिए कभी- कभी ड्राइवर डर भी जाता था आखिर क्या बात है? जो साहब मुझे इसी स्ट्रीट लाइट के पास रुकने के लिए कहते ।अब उससे राहा नहीं गया वह एक दिन अपने साहब से पूछ बैठा साहब एक बात पूछे कृपा आप नाराज़ मत होएगा।तब साहब उस ड्राइवर से कहते हैं बेहिचक पूछो ।उसने कहा साहब आप रोज इसी स्ट्रीट लाइट के पास क्यों रुकते हैं क्या बात है।तब उसके साहब ने कहा कि" इस स्ट्रीट लाइट से मेरा बचपन जुड़ी है। मैं तो एक अनाथ था मेरे आगे - पीछे कोई नहीं था, मैं तो इधर- उधर इलाहबाद के सड़कों में भटक रहा था तब एक भिखारिन ने मुझे बहला- फुसला कर यहां दिल्ली ले आई और मुझे यहां भीख मांगने के लिए विवश किया । मैं कुछ दिन भीख मांगता रहा तभी मेरी नजर एक स्कूल पर पड़ी मैं अपना भीख का कटोरा फेंक उस स्कूल में चला गया वहां के चपरासी मुझे अंदर नहीं जाने दे रहा था कि एक टीचर ने उससे कहा उसे आने दो अगर वह इधर आना चाहता है क्योंकि यह एक स्कूल है विद्या का घर है सरस्वती मां का निवास है यहां किसी भी बच्चों का आना मना नहीं है।" उस टीचर ने मुझे अंदर बुलाया और मेरा नाम पूछा बेटा तुम्हारा नाम क्या है ? क्या तुम सच में पढ़ना चाहते हो तो मैंने उनसे कहा हां और अब तक तो लोग मुझे अनाथ के नाम से जानते थे मुझे मेरा नाम नहीं पता,लोग कोई भी नाम से पुकार लेते हैं।तब टीचर ने कहा आज से तुम्हारा नाम रोशन होगा कल से तुम स्कूल आ जाना। मैं रोज स्कूल जाने लगा स्कूल से आने के बाद मैं एक छोटे से होटल में बर्तन साफ कर जो पैसा आता उससे किताब खरीद लेता।पर दिनभर मेरे पास वक़्त नहीं होती और रात में अंधेरे की वजह से पढ़ नहीं पाता था ।तब मैं इसी स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ना शुरू किया। मैंने खूब मेहनत की और क्लास में प्रथम स्थान प्राप्त किया।तब उस टीचर ने मेरी पढ़ाई के प्रति लगन देख मुझे अपने साथ रख लिया और मैं उन्हीं के साथ रहने लगा लेकिन मैं फिर भी रात में आकर यहीं स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ता था क्योंकि मेरा इस जगह से एक लगाव सा हो गया था।आज मैं जो कुछ भी हूं उस टीचर की बदौलत और इस स्ट्रीट लाइट की वजह से भी जो मुझे अपने लाइट में पनाह दी और इस रास्ते ने मुझे अपने गोद में स्थान दिया ।इसलिए " मैं जब भी यहां से गुजरता हूं तो यहां कुछ पल रुक कर अपने मन में फिर से एक नई उम्मीद की किरण जागता हूं।" धन्यवाद