Shivam 03 Jun 2023 कविताएँ समाजिक Sakshi ka katal 5277 0 Hindi :: हिंदी
दुनिया गई बदल, सुबह हुआ और रात गई दल। इस दुनिया में इंसानियत शायद अब गई मर, साक्षी के कत्ल के समय सब थे वहां पर सबको लगा डर। अगर वहां जो थे उनकी बहन या बेटी होती, तो साहिल की छाती पर चढ़ जाते वो, चाकू भले से खुद खाते पर साक्षी को बचाते वो। अरे! किस्से कहानियां यहां तक कि इंसानों से सुना है कि एकता में बल है, अगर वह एकता दिखाई होती तो साहिल कुछ कर पाता क्या उस में इतना दम है। न्यूज़ में आया कि दोनों ने एक दूसरे से प्यार किया, साक्षी होना चाहती थी दूर तो साहिल ने वार किया। अरे अगर वास्तव में प्यार होता, तो साहिल यह कदम सपने में भी ना उठाता। सीसीटीवी की फोटो देख सभी की आंखें भर आई थी, इतनी बेरहमी से उसने साक्षी पर पत्थर से वार किया और चाकू चलाई थी। न्यूज़ में आया कि पुलिस ने साहिल को धर दबोचा है, पर अब उसे जेल होगी या फांसी का फंदा अब उसके लिए बना है। पर क्या यह सब करके सब कुछ ठीक हो जाएगा, क्या गारंटी है कि ऐसा केस वापस ना आएगा। जैसे समय-समय पर संविधान में संशोधन करना आवश्यक है, वैसे इन जैसे दरिंदों को भी कुत्ते की मौत मारना आवश्यक है।