Chinta netam " mind " 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक सामाजिक 21750 0 Hindi :: हिंदी
//...चापलूसी...गुलामी...बेईमानी...// एक , बढ़िया कला... , सीधा , सरल , भला...! चापलूसी , गुलामी , बेईमानी... , चलाती कईयों जिंदगानी...! ये... चीज , बड़ी , सयानी... , फांसती , लोगों को अपने जाल में , ज्ञानी हो या अज्ञानी...! कुछ तो अहमियत है इस जमाने में इसकी भी , मेरे यार , सुन लो मेरी जुबानी मेरे "मन " की , थोड़ी होती जरूर बदनामी... , लोग कहें इसे नकारा , बदसूरत , बेमानी...! पर चलाती ये कईयों जिंदगानी कईयों जिंदगानी...! चिन्ता नेताम " मन " डोंगरगांव(छत्तीसगढ़)