DINESH KUMAR KEER 08 May 2023 गीत समाजिक 4485 0 Hindi :: हिंदी
बेवजह ना जानें क्या क्या करवाते लोग, अपनी उम्मीदों की दुनियां में सरहद बनवाते लोग। हमने इंतजार में कर दी राख ज़िंदगी तमाम, कुछ लम्हों का आसान हिज्र ना सह पाते लोग। जितने भरे हुए दिखते हैं उतने ही खाली हैं, ख़ाली होने के कश्मकश में ज्यादा भर जाते हैं लोग। दिल में बसा कर रखना था खुद के पास जिसे, उन्हें ही नाज़ से सिर पर बिठा देते हैं लोग । दीए जलाकर करना था रोशन दिल को, हाथों के साथ घर को ही जला बैठे हैं लोग। दीपों की जगमग कर देती है दूर अंधेरे दिल के, दिलों में दुश्मनी की वहशियत पाले बैठे हैं लोग। ये तेरे दिल का गम है और ये मेरे दिल का, क्या करें कि, अपने ही दिल को दुनिया बना बैठे हैं लोग।।