DINESH KUMAR KEER 27 May 2023 कविताएँ समाजिक 4927 0 Hindi :: हिंदी
जीवन के संघर्ष में थक कर कभी ना हार... जीवन के संघर्ष में थक कर कभी ना हार... घिस घिस कर पत्थर से बनती लोहे की धार... घिस घिस कर पत्थर से बनती लोहे की धार... तप कर लोहा भी ले लेता है अपना आकार... तप कर लोहा भी ले लेता है अपना आकार... मोह माया सब व्यर्थ है मतलब का सँसार... मोह माया सब व्यर्थ है मतलब का सँसार...