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वक्त बदलता नहीं -इंसान बदल जाते हैं

Archana Singh 22 Sep 2023 कविताएँ समाजिक वक्त 3925 0 Hindi :: हिंदी

वक्त बदलता नहीं , इंसान बदल जाते हैं !
 बंद आंखों से तो , अंधेरे भी नजर आते हैं !
हर खेल अपनी नजरों का तजुर्बा होता है !
रेल की खिड़की से देखा तो ,
अक्सर पेड़ भी दौड़ते नजर आते हैं !
ये आंखों का धोखा है या नजरिए का सोच !
फर्क सिर्फ इतना है कि ....
वक्त और हालात के अनुसार ,
नजर और नजरिए बदल जाते हैं !
 इंसान की फितरत ही यही है दोस्तों 
कि वो वक्त के साथ अक्सर बदल जाते  हैं ....!
धन्यवाद दोस्तों 🙏🙏💐💐

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