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*प्रेरणादायक कहानी* *👌पात्र की महिमा* 👍💐💐सपनों का सौदागर..... करण सिंह💐💐

Karan Singh 30 Mar 2023 कहानियाँ राजनितिक Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/छत्रपति शिवाजी महाराज की महानता/*प्रेरणादायक कहानी* *👌पात्र की महिमा* 👍💐💐सपनों का सौदागर..... करण सिंह💐💐/करण सिंह/karan singh/सपनों का सौदागर/पात्र की महिमा/भक्तरविदास/भक्ति/महिमा महादेव की/घर घर की कहानी/ 86433 0 Hindi :: हिंदी

*प्रेरणादायक कहानी*
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*यह घटना मगध की है। मगध के एक छोटे से राज्य के राजा की कोई सन्तान नहीं थी। जब वे वृद्धावस्था के करीब पहुँचे तथा उन्हें लगा कि उनके जीवन का सूर्य अब अस्ताचल के करीब जा रहा है और सन्तान प्राप्ति की कोई आशा नहीं रही तो उन्होंने अपने राज्य के एक सैनिक को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। वह सैनिक बहुत वीर और साहसी था। वह बहुत बुद्धिमान भी था। उसने अपनी बुद्धि और वीरता से अनेक बार राजा के प्राणों की रक्षा की थी। यही कारण था कि राजा का उस पर स्नेह और विश्वास था। राजा की मृत्यु के बाद वह राजगद्दी पर बैठाया गया। मगध के नागरिक उसका सम्मान नहीं किया करते थे क्योंकि वह एक गरीब परिवार से आया था। वह राजघराने का व्यक्ति नहीं था। उसने अपना जीवन बहुत निचले स्तर से प्रारम्भ किया था। वह भी यह जानता था कि मगध के लोग उसका सम्मान नहीं करते हैं किन्तु उसने इसके लिये कोई सख्त कदम नहीं उठाये। वह चतुराई के साथ उन्हें अपने पक्ष में करता चला गया। जब उसने देखा कि अब लोग उसके पक्ष में तो आ गये हैं लेकिन अभी भी उनके मन में यह झिझक है कि मैं एक निचले गरीब परिवार का व्यक्ति हूँ तो उसने एक उपाय किया।*


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*राजा के रुप में उसके पास जो सम्पत्ति थी उसमें एक सोने का पात्र था। वह पात्र उसके और उसके अतिथियों के विशेष अवसरों पर पैर धोने और मुँह आदि धोने के उपयोग में लाया जाता था। उसने उस पात्र को तुड़वाकर उससे एक देवता की मूर्ति बनवाई। उसने वह स्वर्ण की प्रतिमा नगर में एक सबसे अच्छी जगह पर लगवा दी। लोग उस मूर्ति का सम्मान और पूजन करने लगे। वह प्रतिमा बहुत पूजनीय हो गई थी। एक बार उसके राज्य में एक समारोह था। उसमें राज्य के लगभग सभी लोग उपस्थित थे। जिस समय उस जन समुदाय को राज्य के महामन्त्री संबोधित कर रहे थे तो उन्होंने सभी उपस्थित नागरिकों को बतलाया कि देवता की वह सम्मानित मूर्ति कभी राजा के अतिथियों के पैर धोने का पात्र थी जिसमें लोग पैर धोते थे, कुल्ला करते थे और अपनी गन्दगी साफ किया करते थे। उसने उन्हें समझाया कि सोना तो सोना ही होता है। चाहे वह गन्दगी धोने का पात्र हो या फिर देवता की मूर्ति। महत्व सोने का नहीं है महत्व उस रुप का है जो उसे दिया गया है। कोई व्यक्ति किस परिवार का है या कैसे परिवार का है यह बात उतनी महत्वपूर्ण नहीं है जितनी महत्वपूर्ण बात यह है कि उसका आचरण कैसा है और वह कार्य क्या करता है। अच्छे कार्य करने वाला निम्न परिवार का होकर भी सम्माननीय हो सकता है और अच्छे परिवार का होकर भी एक व्यक्ति अपने कार्यों के कारण निन्दनीय हो सकता है। लोगों को उसकी बात समझ में आ गई और फिर सारा राज्य उसका सम्मान करने लगा।*

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*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है!!*


*सदैव प्रसन्न रहिए क्योंकि जो प्राप्त है वही पर्याप्त है 💐*
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