Poonam Mishra 30 Apr 2023 आलेख समाजिक सपने बिखर गए टूट गए पर ऐसा नहीं था 4975 0 Hindi :: हिंदी
लोगों ने सोचा मेरे सपने टूट गए हैं क्योंकि मैं अंदर से बिखर चुकी थी टूट चुकी थीl मैं अपने सपनों को पाने में असफल हो रही थीl लोगों को यह एहसास हो रहा था कि हमारे सपने टूट गए हैं l परंतु वास्तव में मेरे सपने अंदर से टूटे नहीं थे टूट कर इधर-उधर बिखर गए थे शायद मिट गए ,थे परंतु इधर-उधर बिखर कर फिर से अंकुरित होने लगे एक नया जन्म लेने , लगी एक ,नए विचार ,एक नई, सुबह ,के साथ फिर से , सपनों को सजाने लगे पूनम मिश्रा