Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar kavita #Disha per kavita #दिशा कविता का मूल प्रतिपाद्य लिखिए# 107538 1 5 Hindi :: हिंदी
कविता -दिशा कहां जा रहे हो? न ठौर न ठिकाना चले जा रहे हो कहां पर? बताना मंजिल कहां है? कहां पर है जाना? दिशा वह कौन है? किधर हो रवाना? पथिक ने बताया निकल चल पड़ा हूं कहां है ठिकाना न मुझको पता है, जीवन डगर पर मंजिल किधर है? कहां चल पड़ा हूं! न पता का पता है हे !राही चला चल नही फर्क कोई चला जा उधर ही जिधर जा रहा है जीवन की नइया ही डगमग रहेगी अगर है दशा का दिशा न सही है दिशा हर दशा का मुकद्दर लिखेगी दिशा में ही जीवन शुभ सुंदर बनेगी। रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी, अम्बेडकरनगर
1 month ago
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...