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ख्यालों की महल-छूते हम सब जन खुशियों से आकाश

संदीप कुमार सिंह 07 Jul 2023 कविताएँ अन्य मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4121 0 Hindi :: हिंदी

दुनिया में कभी गम न आता काश,
छूते हम सब जन खुशियों से आकाश।

अपने जज्बातों को कागज़ पर उकेरता हूं,
चाहता हूं  मेरी  जज़्बात दुनिया में सब जाने।

चाहत सारे पूरा कर लूं अडिग हूं मैं,
बाधाएं न आती गर कुछ भी काश।

अपने अमृत भावनाओं को प्रत्येक जन तक पहुंचाता,
काश कुछ लोगों की बेवजह अर्चनें न आती।

वादों से अपने मैं मुकरता नहीं हूं,
काश ऐसा हरेक के मन में होता।

मैं बहुतों के लिए बहुत कुछ किया हूं,
काश उनलोगों को भी यह एहसास रहता।

ज़िंदगी जीने का मज़ा आ जाता, काश!
काश और आस को मिलाकर विजेता बन जाता।

सबकुछ अपने जैसा होता काश,
फिर धरा पर से कोई जाता ही नहीं।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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