Uma mittal 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक श्री राधा जन्मोत्सव ,श्री राधा अष्टमी 64501 0 Hindi :: हिंदी
श्री राधा जी का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दिन में हुआ था| जबकि श्री कृष्ण भगवान का जन्म भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रात को हुआ था| श्री राधा जी अत्यंत सुंदर थी| इनकी सुंदरता का बखान श्री गर्ग संहिता में किया गया है जिसमें भगवान श्री कृष्ण जी ने खुद श्री राधा जी को अत्यंत रूपवती और गुणवान बताया है| राधा जी के बारे में कहा जाता है कि वह दूध के समान गोरी थी और अत्यंत सुंदर थी| उनकी माता का नाम कीर्तिदा और पिता का नाम वृषभानु था| वह मथुरा के पास बरसाना मैं बड़ी हुई| राधा जी की बहुत सी सखियां थी जिसमें से मुख्य आठ थी| श्री कृष्ण भगवान गोकुल से बरसाना आकर बांसुरी बजाते थे और रास अर्थात नृत्य रचाते थे जिसे देखने के लिए सभी देवी देवता भी ऊपर से ही इनके दर्शन करते थे| चंद्र देवता भी उस महारास में अपनी सोलह कलाओं से उस समय अमृत बरसाते थे| श्री राधा जी और श्री कृष्ण जी का प्रेम इतना अटूट है कि मथुरा के निधिवन में आज भी प्रतिदिन श्री कृष्ण जी राधा जी और गोपियों के साथ रास रचाते हैं| आज भी कृष्ण भक्त पहले राधे-राधे ही कहते हैं क्योंकि राधे जी के बिना कृष्ण जी की पूजा अधूरी है| राधे राधे जपने से श्री कृष्ण जी अपने आप ही मिल जाते हैं| जब श्री कृष्ण भगवान जी को अक्रूर जी मथुरा ले जाने के लिए आए तो श्री कृष्ण भगवान बलराम जी के साथ मथुरा जाने लगे| जब राधा जी को यह पता लगा तो वह व्यथित हो गई| उस समय वहां श्री कृष्ण जी ने श्री राधा जी से वादा लिया कि तुम वियोग में आंसू नहीं वह आओगी| इस वादे के बाद राधा जी अपने आंसुओं को रोक कर जब से वियोग में रहने लगी| तभी कुछ दिन बाद उद्धव जो कि बहुत ही ज्ञानी और विद्वान थे श्री कृष्ण जी की एक चिट्ठी बरसाना लेकर आते हैं और राधा जी को कृष्ण को भूल जाने की सलाह देते हैं| कहते हैं कि यह राधा तुम उस कृष्ण भूल जाओ क्योंकि इससे केवल दुख ही मिलेगा क्योंकि अब कृष्ण जी का लौटना मुश्किल है| तब राधा जी कहती हैं भैया श्री कृष्ण कहां गए हैं वह तो हर पल मेरे साथ हैं मेरे बगल में बैठे हैं| उद्धव जी राधा जी को फिर से समझाते हैं कि यह तुम्हारा पागलपन है किसी से कुछ नहीं मिलेगा और अगर श्री कृष्ण जी तुम्हारे साथ है तो मुझे उनसे मिलना है तब श्री राधा जी उद्धव भैया को अपने साथ ही बैठे श्री कृष्ण जी के दर्शन करवाती हैं| यह देख कर वह श्री कृष्ण जी को छू कर देखते हैं और पूरी तसल्ली होने पर वे चकरा कर जिस जगह पर राधा जी के चरण पड़े थे उस जगह पर सिर रखकर प्रणाम करते हैं और रोने लगते हैं और कहते हैं " राधा तुम्हारे प्रेम को प्रणाम| तुम्हारी भक्ति को प्रणाम| तुम्हारी शक्ति को प्रणाम| तुम्हारे त्याग को प्रणाम|| " और 'श्री राधे राधे 'नाम जपते हुए श्री कृष्ण जी के महल की ओर लौट जाते हैं| श्री राधा जी की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है| इसलिए श्री राधा जी का जन्म उत्सव अर्थात राधा अष्टमी पूरे भारत में बहुत धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है| श्री राधा जी का नाम पूरे भारत में बहुत ही आदर और श्रद्धा के साथ लिया जाता है| जय श्री राधे राधे| उमा मित्तल राजपुरा टाउन (पंजाब)