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प्रकाश- मन के अन्दर जो प्रकाश है

Swami Ganganiya 02 Dec 2023 आलेख अन्य Hindi shayri and lekh 6450 0 Hindi :: हिंदी

कभी-कभी छोटी-छोटी खुशियाँ  हमारे लिए न जाने कितनी बड़ी होती है शायद ही दूसरों की नजरों में उनकी कोई अहमियत ना रहे लेकिन  हमारे लिए वह बहुत मायने रखती हैं। जब हम कभी उदास होते है। यही छोटी-छोटी खुशियां याद करके हम और दुखी या और खुश हो जाते हैै। क्योंकि वक्त हमारे लिए कभी नहीं रुकता है हम चलते रहते हैं कब रुकेंगे हमें नहीं पता होता है। भले ही हमें बड़ी खुशी की तलाश हो लेकिन गम जितना बड़ा होगा या अधिक होगा आने वाली उन छोटी खुशियों का एहसास उससे कहीं गुना बड़ा होगा। खुशियां छोटी हो या बड़ी यह मायने नही रखती। गम छोटे हो या बड़े। लेकिन उद्देश्य वक्तव्य हमारा कितना छोटा क्यों ना हो हमारी सोच उससे कहीं बड़ी होती है हम उस सोच को हकीकत में कितना साकार कर पाते हैं यह शायद ही हम कभी जान पाए। क्योंकि इससे रूप देना हमारे हाथ नही है। यह उन प्रकृति के रंगों में छिपे एक राज की तरह है जो उजालों की तरह चमकता जरूर है हम उसके प्रभाव में होते हैं तो हमारा खुद का प्रकाश कम हो जाता है जो अंधकार हमने कभी देखा ही नहीं होता है वह सामने होता है अब इस अंधकार को दूर करना है। हम सोचते है कि जब हम प्रकाश में ही थे तो यह अंधकार कहां से आया और जब हम अंधकार में होते है तो अब वह प्रकाश कहां गया है। मन के अन्दर जो प्रकाश है जो हमें हर अंधकार में एक प्रकाश की तरहा नजर आता है। जिसे हम हर अंधकार और प्रकाश में देख और महसूूश कर सकते है।
🦋 स्वामी गंगानिया 🌺

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