Rambriksh Bahadurpuri 11 Apr 2024 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri#rambriksh Bahadurpuri kavi#Rambriksh Bahadurpuri kavita #Ambedkarnagar poetry #Karm per kavita #Karm se tu bhagta kyon kavita 1374 0 Hindi :: हिंदी
कर्म से तू भागता क्यों? क्या बंधा है हाथ तेरे कर्म से तू भागता क्यों? पाव तेरे हैं सलामत फिर नहीं नग लांघता क्यों? नाकामियों ने है डराया वीर को कब तक कहां ? हार हिम्मत त्याग बल को भीख है तू मांगता क्यों ? मानता तू वक्त का सब खेल है बनना बिगड़ना तोड़कर अपना भरोसा वक्त से तू भागता क्यों? देख ले पंछी को उड़ते दूर तक धरती गगन फिर नहीं तू है समझता खुद में न है झांकता क्यों? ढूंढ़ते मंजिल है अपने ढूंढ लेते रास्ते पास जबकि है नही नक्शा डगर के वास्ते ढूढ़ता है क्यों फ़रिश्ते? खुद नहीं है आंकता क्यों? क्या बंधा है हाथ तेरे कर्म से तू भागता क्यों? रचनाकार रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...