Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक 69691 0 Hindi :: हिंदी
कविता- श्रीराम हे!रामचंद्र अयोध्या भूपति, पतित-पावन, दीन दयालु। वैदेही वल्लभ विश्व व्यापी, मर्यादा पुरुषोत्तम कृपालु।। नीति नियम निपुण सगुण, नैतिक नैसर्गिक नवमी उदय। सच्चिदानंद अनुगत पालक, रघुवर सूर्यवंशी नव सूर्योदय।। हिमवर्ण बदन अद्भुत सौंदर्य, कंदर्प रूप अनुपम दिव्य छवि। कुसुम वर्षण स्वर्गलोक गीर्वाण, आनंद मंगल धाम क्षत्रिय मणि।। सकल पुरुष प्रभु राम तुल्य हो, नारी में गुण हो माता सीता की। भारत वर्ष सुखद रामराज्य हो, जन-जन गुरुमंत्र ले गीता की।। कलियुग दशानन राज अनैतिक, सत्यवादी राम कहां से मैं लाऊं। नारी हरण कर रहा रोज लंकेश, क्यों ना श्रीराम मैं ही बन जाऊं।। कवि- अशोक कुमार यादव पता- मुंगेली, छत्तीसगढ़ (भारत) पद- सहायक शिक्षक पुरस्कार- मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार 2020 प्रकाशित पुस्तक- 'युगानुयुग'